वामपंथी कौन

4:47 PM

 वामपंथी कौन बनता है

क्या उसको कोई वामपंथी बनाता है

नहीं 

वाम पंथी असल में हमारे बीच में से ही मन मर्ज़ी से चलने वाला , 

रोम रोम में परजीवी भाव से भरा , 

भावी जीवन को लेकर भयंकर असुरक्षा से भरा और आत्मविश्वासहीन व्यक्ति ही अचानक लाल झंडा उठा लेता है 

वामपंथी खुद कमाने में उद्योग धंधे लगाने में आलसी होता है जो चल रहे हैं उनको बर्बाद करने के सपने बुनता है


असल में वामपंथ को आपके पढ़े लिखे होने से समस्या है

उसको आपके पीढ़ी दर पीढ़ी दिए जाने वाले संस्कारों से समस्या है

उसको आपके विद्वानों से साधुओं से ब्राह्मणों से बड़ी भारी तक़लीफ है


वामपंथी खुद के बारे में तो चाहता है कि आप उनकी तारीफ़ पढ़े लिखे होने के नाते सदैव करते रहें

परंतु वो आपको अनपढ़ रखने में ही ख़ुश है, 

हाँ शब्दावली उसकी बड़ी प्रगतिशील लगती हैं

वो बातें विज्ञान की करेगा, परिवार की भी करेगा समाज की करेगा, रिश्ते नातों की करेगा

लेकिन

इनमें से किसी भी व्यवस्था का उसके मन में सम्मान नहीं है काम हमेशा वो उसको तोड़ने का ही करेगा

क्योंकि ये सब बातें हमारे धर्मशास्त्रों में स्पष्ट रूप से समयानुसार , उम्र के अनुसार , कर्तव्यों के अनुसार अपनी अपनी भूमिका के साथ कही गई है

और

इन्ही बिंदुओं के कारण ही वामपंथी का शास्त्रों के साथ हमेशा से अंधविरोध रहा है 

वामपंथी हमेशा अवतारवाद का विरोध करता है 

और 

ख़ुद को किसी पैगंबर जैसा ही जतलाने की दिखलाने की कोशिश करता है 


ऐसा नहीं है कि उसने शास्त्र पढे नहीं है, या समझे नही है

लेकिन

उसने अपने भूमिका कागले की या भस्मासुर जैसी तय कर ली है

जो या तो सूगले काम करेगा या विध्वंस करेगा


उसने मनमाने अर्थ करके वेदों में पुराणों में मनु स्मृति में गुरुग्रंथ साहिब में सब में नुक़्स निकालने का बहुत तगड़ा प्रोपेगंडा आदि काल से चला रखा है

उदाहरण के लिए भारत की ज्ञान परंपरा का जो सबसे उदार , परिमार्जित व आधुनिक सोच वाला मत था वो था सिख मत………

जिसमें बाबा नानक से लेकर महाराजा रणजीत सिंह के समय काल तक ज्ञान का महत्व था ज्ञान की पूजा थी

इसी ज्ञान परंपरा के कारण से महाराजा रणजीत सिंह ने प्रत्येक दरबार साहिब को १२०० किल्ले ज़मीन के गुरुग्रंथसाहिब के नाम किए थे 

ताकि प्रत्येक आश्रम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो 

उसी समृद्धि को लेकर कि वामपंथियों ने नाना प्रकार के षड़यंत्र रच कर साधुओं को बदनाम करते हुए धीरे धीरे गुरुद्वारा सुधार लहर के नाम पर उदासीन और निर्मले संतों का नरसंहार किया लूटपाट की पूरी की पूरी परंपरा को बदनाम किया, पंजाब से पलायन को मजबूर कर दिया

और एक बार जब आप अपने ज्ञान परंपरा से पूरी तरह कट गए उसके बाद आज पंजाब के हालात देखिए वहाँ SGPC की व्यवस्था देखिए, वहाँ के जत्थेदारों के हालात देखिए, पंजाब के पॉलिटिकल सिस्टम की हालत का आंकलन कीजिए सब कड़ियाँ जुड़ती चली जाएगी 


इस सब उत्पात के लिए वो सहारा लेता है बालश्रम, नारीवाद, पर्यावरण, LGBTQ, या फिर भाषाई आंदोलनों का 

क्षेत्रवाद का , जातिवाद का , वर्गवाद का , ग्रंथों में सुधार का, 

आज तक जितने भी भगत हुए हैं उन भक्तों की वाणियों में मनमाना मिश्रण करके लोगों को अपनी मान्यता के अनुसार अर्थ बताने का , 

जगह जगह पर नए नए रहस्यमयी मत पंथों के महलनुमा डेरे खोलने का सहारा लेता है

अचानक किसी की मार्केटिंग करके उसको धर्म गुरु के रूप में प्रस्थापित कर देने का प्रयास वामपंथी जीवन भर करता रहता है


पहले ख़ुद की जाति का जातीय स्वाभिमान जगा कर दूसरी जातियों के प्रति नफ़रत पैदा करता है 

फिर ख़ुद के धर्म ख़ुद के धर्म की मान्यताओं के प्रति नफ़रत पैदा कर के दूसरों में अनुराग पैदा करने की वामपंथी पूरी कोशिश करता है

वो ख़ुद नफ़रत से असुरक्षा की भावना से भरा हुआ है आपके मन में हर व्यवस्था के प्रति नफ़रत व अवसाद पैदा करना चाहता है

और

यही नफ़रत और अवसाद आगे चलकर उसके सत्ता प्राप्त करने की सीढ़ी है


वो देखने में बड़ा वैज्ञानिक सोच वाला दिखता है, बड़ा तार्किक दिखता है बड़ा प्रगतिशील दिखता है

पर उसकी प्रगतिशीलता आपके परिवारों में विभाजन करने तक सीमित है

वो शादी होते ही नव दंपत्ति को प्राइवेसी के नाम पर ये अच्छी तरह से समझा देता है कि मैं और मेरी पत्नी और मेरी मनमानी दिनचर्या ही महत्वपूर्ण है बाक़ी परिवार रिश्तेदार सब गौण है 

 उसकी सारी सोच आपकी पारिवारिक मान्यताओं को छिन्न भिन्न करने तक सीमित है

इसके लिए उसके हथियार है नाटक सिनेमा साहित्य अख़बारों TV चैनल और सोशल मीडिया आदि

इन सब पे वो बड़ी बारीकी से काम करता है


अंतर्मन में उसका लक्ष्य कभी भी आपको वैज्ञानिक या तर्कशील बनाना नहीं है डॉक्टर बनाना नहीं है

मन में उसके आपकी भूमिका केवल बिना सोच विचार किए उसको मतदान करने तक सीमित है

नेपाल जैसे कई देशों में वामपंथियों ने इन्ही तौर तरीक़ों से उथल पुथल मचाई सत्ता हासिल की 

लेकिन 

सामने कोई स्पष्ट लक्ष्य नहीं होने के कारण कोई सफल मॉडल नहीं होने के कारण इन सभी देशों को नष्ट भ्रष्ट कर दिया 

अभी तक कई दशकों के बाद भी नेपाल का संविधान तक वे लोग ठीक से नहीं बना सके

आज की हालात ये हैं की जनता फिर से राजा के शासन की माँग कर रही है 


वामपंथी की बड़ी खासियत ये है कि यदि आप कोई भी स्वतंत्र चिंतन करेंगे तो वो आपको गाली देगा

वो आपको मारने की कोशिश करेगा 

और 

अगर वो सत्ता में आ गया तो राज्य के सभी विचारवान लोगों को सार्वजनिक रूप से चौराहे पर फाँसी चढा देगा

ऐसा क्यों करेगा ?? 

क्योंकि सबमें डर पैदा करना है डर ही वामपंथ का शासन करने का मूल मंत्र है


कुल मिलाकर वामपंथी अपने परिवार व पीढी के लिए कुलघाती सिद्ध होता है

कोई एकाध उनमें से यदा कदा जीत जाता है बाकी सब थूक उछालने के अलावा कुछ कर नहीं पाते


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