जय जाट बलवान

4:17 PM

 झिझक है यही

हाल- ए-दिल सुनाने में 

कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा 

इस फसाने में


जाट समाज का क्या हाल करने की कोशिश की जा रही है 

जाट समाज की कई दीमकें सोशल मीडिया पर लिख रही है जाट की बजाए जट्टसिख हो जाओ

जबकि सिखों को ये अच्छी तरह समझ आ रहा है कि हम क्या थे क्या हो गए हैं? 

ये बात अलग है कि वहाँ पर इस प्रकार की समझ वाले व्यक्तियों को बोलने कम दिया जाता है


वामपंथी विचारधारा ने पहले जाटों को ब्राह्मण बनिया राजपूत बिश्नोई सिद्धों के प्रति नफ़रत सिखायी

अब उन्ही की शरारत से जाटों में ही अलग अलग कहीं बेनीवालों का तो कहीं सहारणों के गोत्र वाइज़ सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं 

प्रत्येक गोत्र के हिसाब से उनके अलग अलग लोक देवता खड़े किए जा रहे हैं 


कल को क्या होगा बिना इस बात की चिंता किए बड़े उत्साहित होकर अपने अपने गोत्र के सम्मेलनों में बढ़ चढ़ कर हम लोग हिस्सा ले रहे है

कल को वामपंथियों को केवल इतना करना है कि वे बिग्गा गाँव में जाकर जाखड़ों के लोकदेवता बिग्गा ज़ी की उंगली तोड़ देंगे और आरोप जाटों के ही किसी अन्य गोत्र पर लगा देंगे, 

ठीक उसी तरह जैसे अंबेडकर जी या परशुराम जी या तेजाजी की मूर्तियों को बार बार खंडित करने का प्रयास होता है


एक सज्जन मेरे पास किसी गोत्र सम्मेलन का निमंत्रण देने आए

कहने लगे स्वामी जी हमने आपके गोत्र के 13 संत महापुरुष ढूंढ लिए हैं 

हमें तो कोई ऐसा संत चाहिए जो पूरी सभा में जोश भर दें

ख़ैर मैं इस प्रकार के पचड़ों में पड़ना बचपन से ही पसंद नहीं करता सो विनम्रता से ही उन्हें कह दिया कि मैं बाहर हूँ आ नहीं सकता मगर मन ही मन यह विचार ज़रूर आया “जोश भर के क्या गोदारों या सहुओं पर हमला करना था”???


क़रीब क़रीब यही शरारतें सभी समाजों में बड़ी बारीकी से चल रही होगी जिनको समय रहते अगर न पकड़ा गया या न रोका गया तो आने वाले समय में बहुत से मोर्चों पर आपसी संघर्ष होने में कोई रोक नहीं सकता


भिक्षुक हैं दो वख्त की रोटी खाते हैं

बस वो क़र्ज़ उतारने हेतु देश समाज की जितनी समझ है उतना निवेदन कर दे रहे हैं

चाहे हमको जाटों का विरोधी मान लीजिए चाहे सिखों का

हक़ीक़त तो यही है कि हमारा जीवन लाखो लाखों योनियों के बाद मनुष्य के रूप में प्राप्त हुआ है हम अपने अज्ञान के कारण इस पर दुखों का आवरण न आने दें 

आप लोगों के घर है परिवार है सामाजिक संरचना के साथ आपकी बड़ी गहरी भावनाएं जुड़ी हुई है उसका इस्तेमाल कुछ चंद परजीवी न कर लें इतनी सी फिक्र है


बाकी ये सब लोग साधन संपन्न है इनका नेक्सस बहुत बड़ा है बड़ा तगड़ा है

यही लोग बड़ी चालाकी से गाँव चौपाल की हथाई में कहते है “जो भी भगवाधारी है सारे शोषणकारी है”

या फिर संत लोग सम सामायिक कुछ टिप्पणी कर दें तो इनकी चेले चपाटे तुरंत बोल उठते हैं “स्वामी जी आपको क्या लेना देना आप तो अपने भजन में मस्त रहिए”


“कोऊ नृप हमें का हानि” मानसिकता के साथ धर्म सत्ता की आत्मघाती उदासीनता के कारण ये लोग शासन तंत्र में गहरी जड़ें जमा गए थे उसी का फ़ायदा ये लोग ख़ुद के लिए ख़ुद के परिवार के लिए ख़ुद के रिश्तेदारों के लिए कई पीढ़ियों से उठा रहे हैं इन्हीं कारणों के कारण ये भाजपा से जुड़े तमाम जाट नेताओं को बदनाम करते है


नहीं कोऊ जनमा अस जग माहीं 

प्रभुता पाई जाही मदु नाहीं। 


शास्त्र कहते हैं संसार में कोई ऐसा नहीं जनमा है जो सत्ता पाकर बौरा न गया हो।

राजा नहुष ने सप्त ऋषियों से पालकी उठवा ली थी।

इनका यही अहंकार इनके पतन का कारण बनता है

 

शास्त्र फिर ये भी कहते हैं


तुलसी नर का क्या बड़ा 

समय बड़ा बलवान 

भीलन लूटीं गोपिका 

वेइ अर्जुन वेइ बाण।


प्रारब्धकाल भी उसी का सहज रहता है जो जागृत हो जानबूझकर 33 KV की लाइन को पकड़ना तो प्रारब्ध नहीं है

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