चेत मानखा

8:59 PM

एक भ्रष्ट आदमी अगर दुसरे भ्रष्टाचारी के विरूद्ध संघर्ष करे
और
बड़ी सफलता पा ले व चारों ओर उसकी जय जय कार होने लगे
तो क्या ये न्यायिक विजय होगी??
या
एक अपराधी गलत तरीक़ों से अरबों कमा ले 
फिर सेवा का ढोंग करे
तो उसें समाजसेवी कहेंगे

नहीं बिलकुल भी नहीं...
इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण है
वह व्यक्ति डरा हुआ है अपने ही कृत्यों की छिपाने की कोशिस करता हुआ समाजसेवी का आवरण पहन कर सत्ता के गलियारों में प्रवेश पाना चाहता है

हाल ही में दिल्ली में ऐसा वाक़या हो भी चुका है
जब एक देह व्यापारी राजनैतिक संरक्षण में पांच वैश्यालय चलाता हुआ गिरफ़्तार हुआ
वही आरोपी युपी में एक विधानसभा क्षेत्र में खुद को बड़े समाजसेवी के रूप में भी स्थापित करने में लगा था
ख़बरों के मुताबिक़ तो एक दल नें उसें उम्मीदवार बनाने का पक्का आश्वासन दिया था
क्या कहें!!
क्या मानें???
उसके द्वारा स्थापित मुसाफिरखानें , मस्जिदें या दरगाहें पाक पवित्र हो गई
निःसंदेह नही....
वह व्यक्ति सिर्फ अपने काले कारनामों के नये रास्ते सत्ता के ज़रिये खोलना भर चाहता है

दुर्भाग्य से हम ऐसे लोगों को समय पर सजगता के अभाव में पहचान नहीं पाते
और फिर पांच साल तक बेबसी से मन ही मन गालियाँ देकर खुद को दिलासा देते रहते है

ऐसे लोग चन्दे के धंधे में पूरे माहिर होते है
उचित मंच पर अपना पैसा निवेश करते है
फिर चाहे वह गौशाला हो या घर्मशाला... मंदिर हो या मस्जिद... उन्हे वहाँ जुटने वाले क़द्रदानों की जरूरत है जो माईक पर जय जयकार करें










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